नागपुर.अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के संस्थाकाचार्य श्रील ऐ. सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के प्रिय शिष्य श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज की प्रेरणा से इस्कॉन नागपुर आश्रय द्वारा श्रीमद् भागवत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है।
इसलिए किया गया आयोजन
कोरोना महामारी की वजह से जिन लोगों का असामयिक निधन हो गया उनके परिजन शास्त्रोक्त पध्दति से विधिवत अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए। ऐसे जीवात्माओं की सद्गति के लिये इस्कॉन नागपुर आश्रय ने भागवत कथा का आयोजन किया है।
सार्वभौम प्रभु : संक्षिप्त परिचय
कथा प्रारम्भ होने के पहले कथा व्यास सार्वभौम प्रभु का परिचय देते हुए इस्कॉन प्रवक्ता डॉ. श्यामसुंदर शर्मा बताया कि प्रभु जी का जन्म पाकिस्तान में हुआ तथा वहीं की हैदराबाद यूनिवर्सिटी से एम.बी.बी.एस. की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद 1981 में डॉ. शिशपाल शर्मा के नाम से मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हो गए। उसी समय वे इस्कॉन से जुड़े तथा 1981 से 1991 तक मेडिकल कॉलेज कराची के प्रोफेसर रहते हुए कृष्ण भक्ति का प्रचार-प्रसार किया। 1991 में वे भारत आ गये। वर्तमान में आप इस्कॉन के वृन्दावन इंस्टीटयूट ऑफ हायर एजुकेशन में प्रोफेसर हैं जहां वे श्रीमद भगवद्गीता एवं श्रीमद भागवतम पढ़ाते हैं।
बताया पांचजन्य शंख का महत्व
आज की कथा में प्रभुजी ने भगवान कृष्ण के पांचजन्य शंख के बारे में बताते हुए कहा कि जब इस शंख को कुरुक्षेत्र के मैदान में बजाया तो कौरव सेना के हृदय विदीर्ण हो गए। भगवान ने व्दारका में प्रवेश करते समय जब यही शंख बजाया तो व्दारका वासियों के हृदय प्रसन्नता से झूम उठे। भागवत के आयोजन में अजय अग्रवाल, अमर अग्रवाल, कुणाल अंबिलकर, निशिकांत पारलीकर, कुणाल सहस्त्रा, ईश गुप्ता, मनीष गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता, राजा मखीजा, राजकुमार पंजवानी, राधेश्याम तिवारी, विश्वनाथ चक्रवर्ती, रंगपुरी प्रभु, वृंदावन बिहारी प्रभु, संजय चांदोरा, रविंद्र खुले, किरण अवचट, संस्थापकाचार्य प्रभु, ओमप्रकाश बंद, वैष्णव पाद प्रभु, राजकुमार पंजवानी, सचिन लूथरा, समीर वजलवार, अविनाश सगदेव, कैलाश कोटवानी, मिलन साहनी, इंदिरा पांडुरंग इत्यादि ने विशेषरूप से सहयोग दिया।
‘भागवत सप्ताह का लाभ लें’
नागपुर के अध्यक्ष सच्चिदानंद प्रभु ने सभी नगर वासियों से अपील की है कि वे इस आयोजन का पूर्ण लाभ लें। इसका सीधा प्रसारण इस्कॉन नागपुर आश्रय के यूट्यूब चैनल एवं फेसबुक पेज पर हो रहा है।