औरंगाबाद. एक ओर जहां कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ने लगी है, वहीं लॉकडाउन के साइड इफेक्ट भी सामने आने लगें हैं। इसी के चलते औरंगाबाद जिले के पुंडलिकनगर में एक बेटे ने लॉकडाउन की वजह से काम-धंधा न होने के कारण अपनी मां को घर से निकाल दिया। जिसके कारण उसे मजबूरन वृद्धाश्रम में शरण लेना पड़ी। जबकि पिता की मौत के बाद मां ने ही सिलाई का काम करके बेटे को पाला था।
क्या है मामला
पुंडलिकनगर पुलिस थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक घनश्याम सोनवाने ने बताया कि किरण परदीकर (60 वर्ष ) ने कई साल पहले अपने पति को खो दिया था। किरण ने आजीविका चलाने के लिए बेटे को अदालत के पास किताबों का स्टॉल लगा लिया था लेकिन लॉकडाउन के कारण पिछले साल उसका काम बंद हो गया। बहू से मतभेद होने के कारण किरण ने कुछ समय से अलग रहना शुरू कर दिया था। लॉकडाउन के चलते काम-धंधे बंद हो गए। बेटे की कमाई भी बंद हो गई।अपने परिवार को पालने के चक्कर में उसने मां को घर से निकाल दिया।
ऐसे पहुंची वृद्धाश्रम
सहायक पुलिस निरीक्षक सोनवाने ने कहा, ‘महिला हाल में मदद मांगने हमारे पास आई थी। हमने यहां ‘मातोश्री वृद्धाश्रम’ में उन्हें रखने के लिए एक पत्र दिया। वृद्धाश्रम के प्रबंधक सागर पगोरे ने बताया कि 11 जून को किरण पुलिस के पत्र के साथ हमारे पास आई। उन्होंने कहा, अब वह हमारे साथ हैं। उनके बेटे ने भी एक पत्र दिया, जिसमें उसने कहा है कि बुरी आर्थिक स्थिति के कारण वह मां को साथ नहीं रख सकता।
फिर भी निकली दुआ
किरण ने यहां पत्रकारों से कहा कि कोविड-19 महामारी ने कई लोगों की जिंदगियों पर बहुत बुरा असर डाला है। लोग नौकरियां गंवा रहे हैं। मैं ईश्वर से अपने बेटे को खुश रखने की दुआ करती हूं।